Sunday, February 10, 2013

तू मेरा क्यों नहीं !!

आज ये दिल फिरसे उलझ गया हैं।।
आज कोई फिर मुझे तनहा छोड़ गया हैं!!

शाम उतरी ही थी आज इन आखोंमे।।
और कोई आज मुझे फिर अनसुनासा कर गया हैं!!

लौटना था आज तुम्हे शाम से पहले।
देनेवाले थे तुम मुझे रंग वो अपने!! .

हैरानी अभी भी हैं उस मुकाम की।।
अब तो रास्ते भी बहोतसे हैं, और मंजिलें भी!!

 धुल सी रेह्गयीं बस अब हवा में हैं।।
 जैसे अब बदले हुवे कुछ हालात से हैं!!

उस लम्हे से एक ख़ता क्या हुई।।
सजा सदियाँ पा रही हैं अब!!

कोई बतादे मुझे की आँखे अब रोती क्यों नहीं।।
जो मेरा था, आज किसी और का क्यों हैं अब!!

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