Tuesday, March 19, 2013

तेरे मेरे दरमियाँ ! !

खुदसे ही हम शिकायत करते रहें ..

और फिसलते हुवे इशारे तेरे मेरे दरमियाँ !!



होंठों पे रखी तेरी साँसे..

और वो रस्मों का पूरा होना तेरे  मेरे दरमियाँ !!



 छुपती निगाहों से तेरा वो मुझे छेड़जाना..

और वो ढलती हुयी सबब  तेरे मेरे दरमियाँ !!



बहानेसे तेरा मुहोब्बत जताना..

और वो पूरी होती दुवा तेरे मेरे दरमियाँ !!



तेरी अदाओं का मुझे भा जाना ..

और बढती हुयी नजदीकियाँ तेरे मेरे दरमियाँ !!



निगाहों का निगाहों से इज़हार करना ..

और वो ख़त्म होता भरम तेरे मेरे दरमियाँ !!



हिचकिचाते हुवे वो पलकों का मिलना..

और वो ठहरता हुवा वक़्त तेरे मेरे दरमियाँ !!



अचानक से तेरा आना  और  मुझे छोडजाना..

अब बस  मिटते हुवे अल्फाज़ तेरे मेरे दरमियाँ !!

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