आज फिर शराब बदनाम हुयी ..
नजाने क्यों एक कसक सी रह गयी ..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
तनहाई में चुभती तेरी खुशबु रह गयी ..
आज ये जाम फिर बोल उठा..
मज़बूरी तेरी इस दिल को बयां कर रहा..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
महफ़िल कभी तेरी तो कभी मेरी रुसवा रह गयी..
वो इत्तर की महक तेरे बदनकी ..
वो मुझे पाने की तमन्ना तेरे आंखोंकी..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
वो मिजाजियत तेरी , मुझे बरबाद कर गयी..
शिकायत थी इस जाम को ..
जबसे तू आया है ,ओठोंसे उसे में कम लगाती हु ..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
ओठोंसे फिर एक बार छूकर.. बदनाम शराब को आज में कर गयी..
--वैशाली
नजाने क्यों एक कसक सी रह गयी ..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
तनहाई में चुभती तेरी खुशबु रह गयी ..
आज ये जाम फिर बोल उठा..
मज़बूरी तेरी इस दिल को बयां कर रहा..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
महफ़िल कभी तेरी तो कभी मेरी रुसवा रह गयी..
वो इत्तर की महक तेरे बदनकी ..
वो मुझे पाने की तमन्ना तेरे आंखोंकी..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
वो मिजाजियत तेरी , मुझे बरबाद कर गयी..
शिकायत थी इस जाम को ..
जबसे तू आया है ,ओठोंसे उसे में कम लगाती हु ..
वाजिब था तेरा मुझे यु छोड़ जाना,
ओठोंसे फिर एक बार छूकर.. बदनाम शराब को आज में कर गयी..
--वैशाली
No comments:
Post a Comment