बूंदों की पायल अनसुनीसी रह
रैना बीतते-बीतते, ज़िक्र तुम्हारा करगई..
खुदसे कही बातें कहानी बनगय
यादें ढलते-ढलते, ज़िक्र तुम्हारा करगई..
आंसू का चांदनी में चमकना
महफ़िल रुसवा होते- होते, ज़िक्र तुम्हारा करगई..
सांवरे पियाकी तसवीर अब रूह में समगायी..
ज़िन्दगी इम्तेहान लेते लेते
इस रकीब के चलते, मुहोब्बत खफ़ा होगयी....
जिक्र तुम्हारा करते-करते, मौत रुसवा होगयी..
--वैशाली
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