Monday, August 23, 2010

मुझे न पता था !!

राहें मंजिल हमारे साथ अब तुझे गंवारा होगा!

मुझे पता था, तू ख़फ़ा इस कदर होगा..


तेरी आंखोमे में तवज्जु अपन आप से हुवा था!

मुझे पता था, पलके झपकते इस कदर बिखरजयेगा ..


वो झुकी सी नजर, पुकारा करती थी मुझे!

मुझे पता था, इकरार--मुहोब्बत बेवजह होगा..


थामा था हाथ तुने सदियों के लिए!

मुझे पता था, सदियों का सफ़र कुछ पल का होगा..


ठेहराव आया था ज़िन्दगी में, शिरकत से तुम्हारी!

मुझे पता था, सारी रात मुलाकात तुफानो से होगी


प्यार आसुओंसे करना सिखाया था तुने,

मुझे पता था, चारों मौसम आसू ही हमदर्द रहेंगे मेरे!!


वो हंसी की लड़ियाँ लुभाया करती थी तुझे,

मुझे पता था, इस चेहरे में कोई और भी नजर आता है तुझे..


बड़ी आसानीसे फर्मादिये, के नशा-- मुहोब्बत तुम्हारा रहा अब..

मुझे पता था, नशा मेरी जान को रोज़ नया लगत है अब !


--वैशाली

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