राहें मंजिल हमारे साथ न अब तुझे गंवारा होगा!
मुझे न पता था, तू ख़फ़ा इस कदर होगा..
तेरी आंखोमे में तवज्जु अपन
मुझे न पता था, पलके झपकते इस कदर बिखरजये
वो झुकी सी नजर, पुकारा करती थी मुझे!
मुझे न पता था, इकरार-ए-मुहोब्बत बेवजह होगा..
थामा था हाथ तुने सदियों के लिए!
मुझे न पता था, सदियों का सफ़र कुछ पल का होगा..
ठेहराव आया था ज़िन्दगी में, शिरकत से तुम्हारी!
मुझे न पता था, सारी रात मुलाकात तुफानो से होगी…
प्यार आसुओंसे करना सिखाया
मुझे न पता था, चारों मौसम आसू ही हमदर्द
वो हंसी की लड़ियाँ लुभाया करती थी तुझे,
मुझे न पता था, इस चेहरे में कोई और भी नजर आता है तुझे..
बड़ी आसानीसे फर्मादिये, के नशा-ऐ- मुहोब्बत तुम्हारा न रहा अब..
मुझे न पता था, नशा मेरी जान को रोज़ नया लगत
--वैशाली